Jeevan Ki Chakki
जीवन की चक्की में रातें भर दे
सूनी परेशां सी बातें भर दे
जीवन की चक्की में रातें भर दे
सूनी परेशां सी बातें भर दे
नन्ही सी भूखों का मारा हुआ
इसमें तू सूखी सी आंतें भर दे
जो तेरे सपने हैं , वो तेरे अपने हैं
इनमें है हक़ बस तेरा
सार जग बोले है , काला ठग बोले है
काले ठग को क्या पता
धरती को फोड़ यारा, करनी को मोड़ यारा
मूछों को मरोड़ के आजा
तू भी इंसान है, नहीं नादान है
सब कुछ तोड़ के आजा
क्यों वो तेरी, नीदों को ले गया
क्यों तू चुप है, क्यों यूँ ही है खड़ा
अंधों की शादी में बहरे भरे
उनमें तू गूंगी बारातें भर दे
सेठों की बहियों में दीमक चढ़ा
खूनी कलम से तू खाते भर दे
जैसे तेरा साथ है, वैसी मुलाक़ात है
फिर भी ये बात मैं बोलूं
खुला ये सफर राजा, लम्बी ये डगर राजा
फिर वही बात मैं बोलूं
आँधियों की वादी से, तूफानों के घेरे से
तू जो निकल पायेगा
छोटे अरमानों को, बड़े फरमानों को
तभी बदल पायेगा
इंसा तो वही है जो सपने सच करे
किस्मत अपनी जो हाथों से लिख मरे
जीवन की चक्की में जीवन की चक्की में....