Vishwamitra Samay Shubh Jaani
K. J. Yesudas, Mano
विश्वामित्र समय सुभ जानी
बोले अति सनेहमय बानी
उठहु राम भंजहु भवचापा
मैटहु तात जनक परितापा
सुनि गुरु बचन चरन सिरु नावा
हरष बिषाद न कछु उर आवा
सहज ही चले सकल जग स्वामी
मन मंजुवर कुंजर गामी
उदित उदय गिरी-मंच पर, रघुवर-बाल पतंग
विकसे संत-सरोज सब, हरषे लोचन भृंग