Intezar
Nasir Kazmi
तुम आ गए हो तो क्यूँ इंतेज़ार-ए-शाम करे
तुम आ गए हो तो क्यूँ इंतेज़ार-ए-शाम करे
कहो तो क्यूँ ना अभी से कुछ ऐतमाम करे
तुम आ गए हो तो क्यूँ इंतेज़ार-ए-शाम करे
जुदा हुए है बहुत लोग एक तुम भी सही
जुदा हुए है बहुत लोग एक तुम भी सही
अब इतनी बात पे क्या ज़िन्दगी हराम करे
कहो तो क्यूँ ना अभी से कुछ ऐतमाम करे
तुम आ गए हो तो क्यूँ इंतेज़ार-ए-शाम करे
आ आ आ आ आ आ आ आ
खुदा अगर कभी कुछ इख़्तेयार दे हमको
खुदा अगर कभी कुछ इख़्तेयार दे हमको
तो पहले ख़ाक नशीनो का इंतज़ाम करे
तुम आ गए हो तो क्यूँ इंतेज़ार-ए-शाम करे
कहो तो क्यूँ ना अभी से कुछ ऐतमाम करे
तुम आ गए हो तो क्यूँ इंतेज़ार-ए-शाम करे
तुम आ गए हो