Bin Tere [Lofi Flip]
VISHAL DADLANI, SHEKHAR RAVJANI
अजनबी से हुए क्यूँ पल सारे
ये नज़र से नज़र ये मिलाते ही नहीं
इक घनी तन्हाई छा रही है
मंजिलें रास्तों में ही गुम होने लगी
हो गयी अनसुनी हर दुआ अब मेरी
रह गयी अनकही बिन तेरे
बिन तेरे…बिन तेरे…बिन तेरे
कोई खलिश है हवाओं में बिन तेरे
बिन तेरे…बिन तेरे…बिन तेरे
कोई खलिश है हवाओं में बिन तेरे
राह में रौशनी ने है क्यूँ हाथ छोड़ा
इस तरफ शाम ने क्यूँ है अपना मुंह मोड़ा
यूँ के हर सुबह इक बेरहम सी रात बन गयी
है क्या ये जो तेरे मेरे दरमियाँ है
अनदेखी अनसुनी कोई दास्तां है
लगने लगी अब ज़िन्दगी खाली
है मेरी लगने लगी हर सांस भी खाली
बिन तेरे…बिन तेरे…बिन तेरे
कोई खलिश है हवाओं में बिन तेरे
बिन तेरे…बिन तेरे…बिन तेरे
कोई खलिश है हवाओं में बिन तेरे