Malang Sajna
Sumit Goswami
ये मदहोशियाँ, ये तन्हाईयाँ
तसव्वुर में है किसकी परछाईयाँ
क्यों गुम है हर दिशा
क्यों होता है नशा
क्यों आता है मज़ा
ना तुम जानो ना हम
ना तुम जानो ना हम
क्यूँ चलती है पवन
क्यूँ झूमे है गगन
क्यूँ मचलता है मन
ना तुम जानो ना हम