Shaam Dhalne Lagi

PRAKASH RAHULE AADAM, S. CHATURSEN

शाम ढालने लगी रंग बदलने लगी
दर्द बढ़ने लगा
तनहाईयाँ मुझको च्छुने लगी
शाम ढालने लगी रंग बदलने लगी
दर्द बढ़ने लगा
तनहाईयाँ मुझको च्छुने लगी
शाम ढालने लगी

बेवफा भी नही बवफ़ा भी नही
उनका अंदाज़ सबसे निराला ही था
मैं तो पीने लगा पीटा ही गया
मेरी किस्मत में शायद ये प्याला ही था
धड़कने रुक गयी जिस्म थकने लगा
अब तो साँसे भी रूखा बदलने लगी
शाम ढालने लगी

भूले से भी कभी इधर आएगा नही
वो हसीन चाँद मेरा
च्छूप गया हैं कहीं
अब अंधेरे ही बस रहनुमा हैं मेरे
तल्खियाँ दर्डो घूम आशना हैं मेरे
नब्ज़ झमने लगी ाश्क़ रूकसे गये
झोल करने को हरपाल मचल ने लगी
शाम ढालने लगी

दर्द इतना बड़ा सहा जाता नही
बंद गलियों में कोई आता जाता नही
झल गया घर मेरा रह गया ये धुआँ
कौन किसका हुआ ज़माने में यहाँ
अब कज़ा ही कोई राह देंगी मुझे
हाथों से ज़िंदगी अब फिसलने लगी
शाम ढालने लगी

Trivia about the song Shaam Dhalne Lagi by Vinod Rathod

When was the song “Shaam Dhalne Lagi” released by Vinod Rathod?
The song Shaam Dhalne Lagi was released in 2018, on the album “Celebrating Vinod Rathod”.
Who composed the song “Shaam Dhalne Lagi” by Vinod Rathod?
The song “Shaam Dhalne Lagi” by Vinod Rathod was composed by PRAKASH RAHULE AADAM, S. CHATURSEN.

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