Khoon Ki Khushboo
Gulzar
सौंधी है खून की खुशबू
महकी रे खून की खुशबू
दिलो में वो बनके रखता है
मिट्टी में टपकता रहता है खंडर है दिल
बंजार है
वीराने का मंजर है
आंखों में लहू, लहू आंसू
सौंधी है खून की खुशबू
महकी रे खून की खुशबू
लास का कलावा है
मौत का बुलावा है
गुरुर भोक्ता है सुन, सुन, सुन सुन सुन सुन
सुनाई देता है
सुनाई देता है
इमान भी बेईमान है
गुनाहों के कारोबार है
बिकती कोटि कोडियां आबरू
सौंधी है खून की खुशबू
महकी रे खून की खुशबू
दूर दूर तक ये बहकेगा
एक एक रूह कपेगी
एक एक जिस्म बहकेगा
शौंधी है खून की खुशबू