Khudara

Shakeel Azmi, Prasad Sashte

मुझे बक्ष दे, मुझे बख़्श दे
या मेरे घफूर-उर-रहीं

मैं रेज़ा रेज़ा बिखर रहा हूँ
संभाल मुझे
अंधेरा मुझ में उतार रहा है
उजाल मुझे
मैं रेज़ा रेज़ा बिखर रहा हूँ
संभाल मुझे
अंधेरा मुझ में उतार रहा है
उजाल मुझे
मैं खुद से बिच्छाद गया हूँ
जैसे आग से धुआँ
ना ज़मीन ना आसमान है
यह मैं आ गया कहाँ..
मुझे मेरा पता दे खुदरा
कोई रास्ता बता दे खुदरा
मुझे मेरा पता दे खुदरा
कोई रास्ता बता दे खुदरा

आया कहाँ से इतना ज़हर लहू में
गंगा का पानी बहता था मेरे वज़ू में
जो दिखता है वो मेरा वजूद नही
आज मैं अपने आप में क्यूँ मौजूद नही
वो नही था जब हुमारा
तो उसका घाम है क्यूँ
दिल जल रहा है लेकिन
यह आँख नाम्म है क्यूँ
मुझे मेरा पता दे खुदरा
कोई रास्ता बता दे खुदरा
मुझे मेरा पता दे खुदरा
कोई रास्ता बता दे खुदरा

ले ले मेरी साँसें मुझको मार जाने दे
जाने कब से बे-घर हूँ अब घर आने दे
काबे तक तुझे मैं सोचूँ
तेरा ख़याल करूँ
सामने आ मैं तुझसे एक सवाल करूँ
मैं घालत हूँ या के दुनिया
या कहीं घालत है तू
मुझे दे जवाब मौला
मैं हूँ तेरे रूबरू
मुझे मेरा पता दे खुदरा
कोई रास्ता बता दे खुदरा
मुझे मेरा पता दे खुदरा
कोई रास्ता बता दे खुदरा

Trivia about the song Khudara by Vishal Dadlani

Who composed the song “Khudara” by Vishal Dadlani?
The song “Khudara” by Vishal Dadlani was composed by Shakeel Azmi, Prasad Sashte.

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