Faaslo Pe

Raju Sardar, Yash Eshwari

आ आ आ आ आ आ आ

फ़ासलों पे यूँ खड़ी अब ज़िंदगी है
हम्म हम्म हम्म हम्म
फ़ासलों पे यूँ खड़ी अब ज़िंदगी है
एक क़ज़ा सी सीने में और तिश्नगी है
तू नहीं तो, यूँ लगे है
तू नहीं तो, यूँ लगे है
साँसे तन से जुदा, अधूरी जैसे हर दुआ
जीना ऐसा लगे जैसे कोई सज़ा

साथ छोड़े है, ज़िंदगी धुँधली हुई हैं चाँदनी
डोरी टूटे हैं धड़कन की तेरे बिना यूँ
बिखरे हुए आईने सी, बुझते हुए ये दिए सी
ना है फलक, ना ज़मीन, ना है तेरा निशा
साँसे तन से जुदा, अधूरी जैसे हर दुआ
जीना ऐसा लगे जैसे कोई सज़ा

राहें तो है, पर ना सफ़र
चल ना सकु, ठहरु किधर
बाद तेरे शहर दश्त लगने लगा है
गालियाँ ये अंजान सी है, खुशियाँ भी मेहमान सी है
तनहा, वीरान, बेजान लगने लगी हर सुबह
साँसे तन से जुदा, अधूरी जैसे हर दुआ
जीना ऐसा लगे जैसे कोई सज़ा

Trivia about the song Faaslo Pe by Yasser Desai

When was the song “Faaslo Pe” released by Yasser Desai?
The song Faaslo Pe was released in 2021, on the album “Faaslo Pe”.
Who composed the song “Faaslo Pe” by Yasser Desai?
The song “Faaslo Pe” by Yasser Desai was composed by Raju Sardar, Yash Eshwari.

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