DEKHNA QISMAT KI AAP APNE
आ,आ,आ,आ,आ,आ
देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाए है
देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाए है
मैं उसे देखूँ भला कब मुझ से देखा जाए है
देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाए है
ग़ैर को या रब वो क्यूँकर मन-ए-गुस्ताख़ी करे
ग़ैर को या रब वो क्यूँकर मन-ए-गुस्ताख़ी करे
गर हया भी उस को आये है तो शरमा जाए है
देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाए है
हो के आशिक़ वो परी-रुख़ और नाज़ुक बन गया
हो के आशिक़ वो परी-रुख़ और नाज़ुक बन गया
रंग खिलता जाए है जितना कि उड़ता जाए है
देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाए है
नक़्श को उस के मुसव्विर पर भी क्या क्या नाज़ हैं
नक़्श को उस के मुसव्विर पर भी क्या क्या नाज़ हैं
खींचता है जिस क़दर उतना ही खिंचता जाए है
देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाए है
मैं उसे देखूँ भला कब मुझ से देखा जाए है
देखना क़िस्मत कि आप अपने पे रश्क आ जाए है