Jab Bhi Pee Kar

KAMIL CHANDPURI, LALIT SEN

जब भी मैखाने से पी कर हम चले
साथ ले कर सेंकड़ों आलम चले
जब भी मैखाने से पी कर हम चले
साथ ले कर सेंकड़ों आलम चले
साथ ले कर सेंकड़ों आलम चले

थक गये थे ज़ीनदगी की राह मैं
थक गये थे ज़ीनदगी की राह मैं
थक गये थे ज़ीनदगी की राह
थक गये थे ज़ीनदगी की राह मैं
हो के मैखाने से ताज़ा ग़म चले
हो के मैखाने से ताज़ा ग़म चले

बाद मुद्दत के मिले हैं आज वो
बाद मुद्दत के मिले हैं आज वो
बाद मुद्दत के मिले हैं आज वो
बाद मुद्दत के मिले हैं आज वो
गर्दिश-ए-दौरान ज़रा मद्धम चले
गर्दिश-ए-दौरान ज़रा मद्धम चले

जीतने ग़म ज़ालिम ज़माने ने दिए
जीतने ग़म ज़ालिम ज़माने ने दिए
जीतने ग़म ज़ालिम ज़माने ने दिए
जीतने ग़म ज़ालिम ज़माने ने दिए
दफ़न कर के मैकदे मैं हम चले
दफ़न कर के मैकदे मैं हम चले

पीने वालो मौसमों की क़ैद क्या
पीने वालो मौसमों की क़ैद क्या
पीने वालो मौसमों की क़ैद क्या
पीने वालो मौसमों की क़ैद क्या
आज तो इक दौर बे मौसम चले
आज तो इक दौर बे मौसम चले
जब भी मैखाने से पी कर हम चले
साथ ले कर सेंकड़ों आलम चले
साथ ले कर सेंकड़ों आलम चले

Trivia about the song Jab Bhi Pee Kar by मेहदी हस्सान

Who composed the song “Jab Bhi Pee Kar” by मेहदी हस्सान?
The song “Jab Bhi Pee Kar” by मेहदी हस्सान was composed by KAMIL CHANDPURI, LALIT SEN.

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