Ye Maujezaat Mohabbat

Qateel Shifai

ये मौजेज़ा भी मुहब्बत कभी दिखाये मुझे
ये मौजेज़ा भी मुहब्बत कभी दिखाये मुझे
के संग तुझ पे गिरे
के संग तुझ पे गिरे और ज़ख़्म आये मुझे
ये मौजेज़ा भी मुहब्बत कभी दिखाये मुझे

वो मेरा दोस्त है सारे जहाँ को है मालूम
वो मेरा दोस्त है सारे जहाँ को है मालूम
दग़ा करे वो किसी से
दग़ा करे वो किसी से तो शर्म आये मुझे
के संग तुझपे गिरे
के संग तुझ पे गिरे और ज़ख़्म आये मुझे
ये मौजेज़ा भी मुहब्बत कभी दिखाये मुझे

वो मेहरबाँ है तो इक़रार क्यूँ नहीं करता
वो मेहरबाँ है तो इक़रार क्यूँ नहीं करता
वो बद-ग़ुमाँ है तो सौ बार आज़माये मुझे
के संग तुझपे गिरे
के संग तुझ पे गिरे और ज़ख़्म आये मुझे
ये मौजेज़ा भी मुहब्बत कभी दिखाये मुझे

मैं अपनी ज़ात में नीलाम हो रहा हूँ क़तील
मैं अपनी ज़ात में नीलाम हो रहा हूँ क़तील
ग़म-ए-हयात से कह दो
ग़म-ए-हयात से कह दो ख़रीद लाये मुझे
के संग तुझपे गिरे
के संग तुझ पे गिरे और ज़ख़्म आये मुझे
ये मौजेज़ा भी मुहब्बत कभी दिखाये मुझे
ये मौजेज़ा भी मुहब्बत

Trivia about the song Ye Maujezaat Mohabbat by मेहदी हस्सान

Who composed the song “Ye Maujezaat Mohabbat” by मेहदी हस्सान?
The song “Ye Maujezaat Mohabbat” by मेहदी हस्सान was composed by Qateel Shifai.

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