Ghir Ghir Ke Aasman Par

ROSHAN, KIDAR SHARMA

घिर घिर के घिर घिर के आसमान पर
छाने लगी घटाए

घिर घिर के घिर घिर के आसमान पर
छाने लगी घटाए
कह दो कोई पिया से
परदेसवा न जाए
घिर घिर के घिर घिर के आसमान पर
छाने लगी घटाए
कह दो कोई पिया से
परदेसवा न जाए

क़ाबू में दिल नहीं है
न होश में जवानी
न होश में जवानी
क़ाबू में दिल नहीं है
न होश में जवानी
न होश में जवानी
बेसुध बना रही है
मस्ती भरी हवाएँ
कह दो कोई पिया से
परदेसवा न जाए

तेरी हँसी तो जाकर
फुलो में छुप गयी थी
फुलो में छुप गयी थी
तेरी हँसी तो जाकर
फुलो में छुप गयी थी
फुलो में छुप गयी थी
कोयल की कूक बनकर
गुंजी मेरी सदाए
कह दो कोई पिया से
परदेसवा न जाए

तू अपनी ओढ़नी में
मन बाँध ले पिया का
मन बाँध ले पिया का
तू अपनी ओढ़नी में
मन बाँध ले पिया का
मन बाँध ले पिया का
फिर ना उन्हें तू भूले
न वो तुम्हे भुलाए
कह दो कोई पिया से
परदेसवा न जाए
घिर घिर घिर घिर के आसमान पर
छाने लगी घटाए
कह दो कोई पिया से
परदेसवा न जाए

Trivia about the song Ghir Ghir Ke Aasman Par by राजकुमारी

Who composed the song “Ghir Ghir Ke Aasman Par” by राजकुमारी?
The song “Ghir Ghir Ke Aasman Par” by राजकुमारी was composed by ROSHAN, KIDAR SHARMA.

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