Pari
तुम तुम डरे दम तुम तुम तुम डरे दम तुम
तुम तुम डरे दम तुम तुम तुम डरे दम तुम
आरहे एक दिन आसमान से परी आएगी (चिक ढींढा ढींढा)
हे हे हे लौट के फिर न वापस कभी जाएगी (चिक ढींढा)
आरहे उसकी खामोशी आहात को सुनता हूँ में (चिक ढींढा)
रात दिन हर घडी
लम्हा लम्हा इंतज़ार है उसका
हे हे एक दिन आसमान से परी आएगी (चिक ढींढा)
फूलों से वोह आशना
कलियों से होगी नर्म वोह
देहकूंगा जब में उसे
मुझसे करेगी शर्म वोह
शर्मा के नाज़ुक आधा से
घबरा के बेहकी हया से
ज़ुल्फो की भीगी घटा से
होठों की सेहमी सदा से
मेरे दिल पे क़यामत से वोह वूटायेगी आएगी
हे हे हे एक दिन आसमान से परी आएगी
चिक ढींढा ढींढा
हे हे हे लौट के फिर न वापस कभी जाएगी
चिक ढींढा ढींढा
आरहे उसकी कामोशी आहत को सुनता हूँ में
रात दिन हर घडी
लम्हा लम्हा
इंतज़ार है उसीका
चाहत की चुनर सजाके हे हे
ख्वाबों की मेहंदी रचाके हे हे हे
नज़रों के नज़दीन आके
इन फासलों को मिटाके
वोह तो लम्हे तेरे प्यार की लाएगी आएगी
हे हे हे एक दिन आसमान से परी आएगी
चिक ढींढा ढींढा