रातें [Reprise]
ADITYA SHARMA, JASLEEN KAUR
डर हो जो कोई
मुझको कभी ढाप लेते हो खुद में कही
सर्दी में ठरते हाथों को मेरे
तापते फूँक के साँसों से ही
नींदे टूटी जो रातों में मेरी
जागते हो तुम भी मेरे साथ ही
फिकठों को मेरी भी ना फिकर कोई
बस तुम हो जो संग में मेरे यूही
है ये साये जहाँ रुकी जिन्दगी रवाँ
एक मैं हूँ और एक तू है बस यहाँ
हे या हे या हे या हे या हे
हे या हे या हे या हे या हे
हे या हे या हे या हे या हे
हे या हे या हे या हे या हे