Khwaabon Ke Mele
Salman Khan Niazi, Zaman Khan
तेरे मेरे बीच का साथ जो था
एक नए ख्वाब सा एहसास वो था
तेरे मेरे बीच का साथ जो था
एक नए ख्वाब सा एहसास वो था
के आंखे झुकती थी, बातें रुकती थी तेरे लिए
रातें जगती थी, शामें तकती थी तेरे लिए
कभी पास बुला के
मुझे चुपके से सुलाके
अब ले चलो ख्वाबों के मैले में
अब ले चलो ख्वाबों के मैले में
ले चलो ख्वाबों के मैले में
चल खो चले हम तुम, अकेले में
रातें मेरी सुनी सी
अनकही अधूरी सी
तेरे होने में वो एहसास है
हर लम्हा तू मेरे पास है
एक तारा जैसे टूटा था
फिर रब से मैंने तुझे मांगा था, हां
कभी पास बुला के
मुझे चुपके से सुलाके
अब ले चलो ख्वाबों के मैले में
अब ले चलो ख्वाबों के मैले में
ले चलो ख्वाबों के मैले में
चल खो चले हम तुम, अकेले में