Chitthi Na Koi Sandesh
ANAND BAKSHI, SAURABH V BHATT, UTTAM SINGH
एक आह भरी होगी
हमने ना सुनी होगी
जाते जाते तुमने
आवाज़ तो दी होगी
हर वक़्त यही है गम
उस वक़्त कहाँ थे हम
कहाँ तुम चले गए
चिट्ठी ना कोई सन्देश
जाने वो कौन सा देश
जहाँ तुम चले गए
हर चीज़ पे अश्कों से
लिखा है तुम्हारा नाम
ये रस्ते घर गलियाँ
तुम्हें कर ना सके सलाम
हाय दिल में रह गई बात
जल्दी से छुड़ा कर हाथ
कहाँ तुम चले गए
चिट्ठी ना कोई संदेश
जाने वो कौन सा देश
जहाँ तुम चले गए
जहाँ तुम चले गए
अब यादों के कांटे
इस दिल में चुभते हैं
ना दर्द ठहरता है
ना आंसू रुकते हैं
तुम्हें ढूंढ रहा है प्यार
हम कैसे करें इकरार
के हाँ तुम चले गए
चिट्ठी ना कोई संदेश
जाने वो कौन सा देश
जहाँ तुम चले गए
जहाँ तुम चले गए