Jab

Javed Akhtar

पीले पत्ते का मौसम जा चुका है
ज़मीन पर हर तरफ़ रंग ही रंग है
शोख और दिलकश उजाले आसमान मे
सफेद बदल की टुकड़िया तैर रही है
वादियो मे हरे घास के कालीन पिच रहे थे
यही सब कुछ था जब हम तुम मिले थे
वोही सब कुछ है लेकिन तुम नही हो

जब गीत हवाओ ने गाई, तुम याद आए
जब खुश्बू के बदल छाए, तुम याद आए
जब सुबहो ने रंग छलकाए, तुम याद आए
जब महके शामो के साए, तुम याद आए
तुम याद आए
जब गीत हवाओ ने गाई, तुम याद आए
जब खुश्बू के बदल छाए, तुम याद आए

जब कोई सुनेहरा दिन आया
जब मौसम झूमा लहराया
जब रुत ने ली एक अंगड़ाई
जब धूप मे नर्मी सी आई
जब रंग नये कलियो को मिले
जब डाली डाली फूल खिले
जब फुलो पे भवरे मंडराए
तुम याद आए
जब खुश्बू के बदल छाए, तुम याद आए

जब कोई सुहानी रुत आई
जब सपनो की बारात आई
जब अंबर मे तारे डंके
जब आँगन मे जुगनू चमके
जब हुई घनेरी खामोशी
जब च्चाई हल्की बेबसी
जब रात ने तन मन पिघलाई
तुम याद आए
जब गीत हवाओ ने गाई, तुम याद आए
जब सुबहो ने रंग छलकाए, तुम याद आए
जब महके शामो के साए, तुम याद आए
तुम याद आए
तुम याद आए
तुम याद आए
तुम याद आए
तुम याद आए

Trivia about the song Jab by Alka Yagnik

Who composed the song “Jab” by Alka Yagnik?
The song “Jab” by Alka Yagnik was composed by Javed Akhtar.

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