Pehle Hi Qayamat

ANU MALIK, ZAMEER KAZMI

पहले ही क़यामत क्या कम थी
पहले ही क़यामत क्या कम थी
इक और क़यामत क्र बैठे ये
प्यार तो आग का दरिया हैं
क्यों तुमसे मोहब्बत कर बैठे

हे हे हां आ आ हां आ आ ज़ू ला ला ला आ

पहले ही क़यामत क्या कम थी
पहले ही क़यामत क्या कम थी
इक और क़यामत कर बैठे
ये प्यार तो आग का दरिया हैं क्यों
तुमसे मोहब्बत कर बैठे
पहले ही क़यामत क्या कम थी

हैं कैसी तड़प ये कैसी अगन
पहले कभी न थी ओ मेरे सजन
क्यों होती हैं मेरे सीने में
हलकी हलकी मीठी मीठी सी जलन

मुझको तेरी चाहत थी कब से
आज मैं तुमसे कहता हूँ
एक पल को सुकून नहीं मिलता
बेचैन मं हरदम रहता हूँ
एक पल को सुकून नहीं मिलता
बेचैन मं हरदम रहता हूँ
तेरे प्यार में हम दीवानों सी तेरे
प्यार में हम दीवानों सी
देखो न हालत कर बैठे

ये प्यार तो आग का दरिया हैं
क्यों तुमसे मोहब्बत कर बैठे
पहले ही क़यामत क्या कम थी

खुद आग लगायी हैं मैंने
दिन रात अब हमको जलना हैं
फूलो की डगर या काँटों की
हर हाल में हमको अरे चलना हैं

दिन तो कट जाते हैं लेकिन
रातें अब जाग के काटती हैं
तेरे बिन अब मैं नहीं जी पाऊँगी सांसें
मुझसे ये कहती हैं
तेरे बिन अब मैं नहीं जी पाऊँगी
सांसें मुझसे ये कहती हैं
ये दिल तो बड़ा पागल दिल हैं
ये दिल तो बड़ा पागल दिल हैं
हम दिल से बगावत कर बैठे

ये प्यार तो आग का दरिया हैं
क्यों तुमसे मोहब्बत कर बैठे

पहले ही क़यामत क्या कम थी
इक और क़यामत कर बैठे

Trivia about the song Pehle Hi Qayamat by Alka Yagnik

Who composed the song “Pehle Hi Qayamat” by Alka Yagnik?
The song “Pehle Hi Qayamat” by Alka Yagnik was composed by ANU MALIK, ZAMEER KAZMI.

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