Saawli

Javed Akhtar

इंतज़ार शायद महोबबत का नसीब है
लेकिन महोबबत जब इंतजार करती है
समय थम जाता हैं, जमाने रुक जाती है
महोबबत जिद्दी है
आखरी साँस आखरी धड़कन
आखरी पल तक इंतज़ार कर सकती है
और कभी कभी उसके बाद भी

साँवली सी एक लड़की, आरज़ू के गाओं मे
गुलमहोर के छाँव मे, इंतज़ार करती थी

साँवली सी एक लड़की, आरज़ु के गाओं मे
गुलमहोर के छाँव मे, इंतज़ार करती थी
उसकी ज़िंदगी मे भी, एक बाहर आ जाए
उसकी दुनिया मे कोई, लेके प्यार आ जाए
सपने से बुनती रहती थी
साँवली सी एक लड़की
साँवली सी एक लड़की, आरज़ू के गाओं मे
गुलमहोर के छाँव मे इंतज़ार करती थी

रुत हसीन थी कैसी, आया जब वो परदेसी
रुत हसीन थी कैसी, आया जब वो परदेसी
मुस्कुरा दिया जीवन, फूल खिल गये आगन
साँवली सी एक लड़की ने, प्यार पा लिया अपना
जो सजाया था उसने, सच हुआ वहीं सपना
खुद पे नाज़ करती थी
साँवली सी एक लड़की
साँवली सी एक लड़की, आरज़ू के गाओं मे
गुलमहोर के छाँव मे, इंतज़ार करती थी

पा पा पा पारा पा पारा पा पा पा पारा पा पारा
पा पा पा पारा पा पारा पा पा पा पारा पा पारा

साँवली सी एक लड़की, ये कहाँ समझती थी
साँवली सी एक लड़की, ये कहाँ समझती थी
चार दिन ये बातें है, आगे गुम की रातें है
ये जो राही आया है, सिर्फ़ एक साया हैं
ये तो लौट जाएगा, सिर्फ़ याद आएगा
ये समाज नहीं पाई
साँवली सी एक लड़की
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म
हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म हम्म
साँवली सी एक लड़की, आरज़ू के गाओं मे
गुलमहोर के छाँव मे, इंतज़ार करती है
इंतज़ार करती है

Trivia about the song Saawli by Alka Yagnik

Who composed the song “Saawli” by Alka Yagnik?
The song “Saawli” by Alka Yagnik was composed by Javed Akhtar.

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