Tum Aaye [Extended]

JAVED AKHTAR, RAJU SINGH

गुनगुनाई हवाएँ गूँजी सारी दिशाएं
गुनगुनाई हवाएँ गूँजी सारी दिशाएं
मान मेरा मगन हो के गाए
तुम आए तुम आए तुम आए

झूमि सारी फ़िज़ाएं घिर के आई घटाएँ
झूमि सारी फ़िज़ाएं घिर के आई घटाएँ
सपने ही सपने है छ्चाएं
तुम आए तुम आए तुम आए

धड़कानो पे जो बढ़न थे सब खुल गये
जिस्म-ओ-जेया प्यार की ओस में धूल गये

आरज़ू ने है दिल में जो अंगड़ाई ली
जाने कैसे नशे साँस में घुल गये

ख्वाब सजाने लगे है साज़ बजाने लगे है
ख्वाब सजाने लगे है साज़ बजाने लगे है
छ्चाए है फूलो के साए
तुम आए तुम आए तुम आए

तुम मेरे हमसफ़र दिल की राहो मे हो
नाज़ कैसे ना मेरी निगाहो को हो

ज़िंदगी जैसे ख्वाबो में है ढाल गयी
तुम मेरी हो गयी मेरी बाहो में हो

होगा क्या हम ना जाने नयी भरने उड़ाने
होगा क्या हम ना जाने नयी भरने उड़ाने
जज़्बात ने पर है फैलाए
तुम आए तुम आए तुम आए

गुनगुनाई हवाएँ गूँजी सारी दिशाएं
झूमि सारी फ़िज़ाएं घिर के आई घटाएँ
सपने ही सपने है छ्चाएं
तुम आए तुम आए तुम आए
तुम आए तुम आए तुम आए
तुम आए तुम आए तुम आए
तुम आए तुम आए तुम आए

Trivia about the song Tum Aaye [Extended] by Alka Yagnik

Who composed the song “Tum Aaye [Extended]” by Alka Yagnik?
The song “Tum Aaye [Extended]” by Alka Yagnik was composed by JAVED AKHTAR, RAJU SINGH.

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