Doston Se Na Milo

ALTAF RAJA, SURINDER SODHI

जब से असली रूप सबका
जब से असली रूप सबका
मैने देखा हैं
एब्ब कोई सदमा मेरे
दिल पर नही लगता
एब्ब कोई सदमा मेरे
दिल पर नही लगता
दोस्तों से ना मिलो
दोस्तों से ना मिलो
तकलीफ़ होती है
फयडा है पित्त मे
खंजर नही लगता
फयडा है पित्त मे
खंजर नही लगता
फयडा है पित्त मे
खंजर नही लगता
फयडा है पित्त मे
खंजर नही लगता
जब से असली रूप सबका

इनके चेहरे पर लगे
रहते है सौ नकाब
हम भी समझ पाए
नही काँटे है या गुलाब
इनके चेहरे पर लगे
रहते है सौ नकाब
हम भी समझ पाए
नही काँटे है या गुलाब
हर कदम पर याद
इनके आते है सितम
लिखने बैठो तो बनेगी इनपर
एक किताब इनपर एक किताब
यारों ने भेजे हैं
यारों ने भेजे हैं
वो फूल चुभते हैं
गैर का फेंका हुआन
पतहर नही लगता
गैर का फेंका हुआन
पतहर नही लगता
जब से असली रूप सबका

पहले तो हर रत मे
होते है यह शामिल
दोस्तो गुमराह
करके तोड़ते है दिल
पहले तो हर रत मे
होते है यह शामिल
दोस्तो गुमराह करके
तोड़ते है दिल
फिर सितम है के यह
हमदर्दी भी करते है
वार वो करते है
जो कर पाए ना कातिल
कर पाए ना कातिल
दोस्तों के नाम से
दोस्तों के नाम से
हम कांप जाते हैं
दुश्मनों की दुश्मनी
से दर्र नही लगता
दुश्मनों की दुश्मनी
से दर्र नही लगता
जब से असली रूप सबका
अपने मतलब के सिवा
एब्ब कोई सदमा मेरे
दिल पर नही लगता
दोस्तों से ना मिलो
दोस्तों से ना मिलो
तकलीफ़ होती है
फयडा है पित्त मे
खंजर नही लगत

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