Jeevan Ki Aapadhapi Mein Kab Waqt Mila

HARIVANSH RAI BACHCHAN, MURLI MAHOHAR SWARUP

जीवन की आपाधापी में कब वक्त मिला
कुछ देर कहीं पर बैठ कभी यह सोच सकूं
जो किया, कहा, माना उसमें क्या बुरा भला
जिस दिन मेरी चेतना जगी मैंने देखा
मैं खड़ा हुआ हूं दुनिया के इस मेले में
हर एक यहां पर एक भुलावे में भूला
हर एक लगा है अपनी अपनी दे-ले में
कुछ देर रहा हक्का-बक्का, भौंचक्का सा
आ गया कहां, क्या करूं यहां, जाऊं किस जगह
फ़िर एक तरफ़ से आया ही तो धक्का सा
मैंने भी बहना शुरु किया उस रेले में
यूँ बाहर की रेला ठेली ही क्या कम थी
जो भीतर भी भावों का ऊहापोह मचा
जो किया, उसी को करने की मजबूरी थी
जो कहा, वही मन के अंदर से उबल चला
जीवन की आपाधापी में कब वक्त मिला
कुछ देर कहीं पर बैठ कभी यह सोच सकूं
जो किया, कहा, माना उसमें क्या बुरा भला
मेला जितना भड़कीला रंग-रंगीला था
मानस के अंदर उतनी ही कमज़ोरी थी
जितना ज़्यादा संचित करने की ख्वाहिश थी
उतनी ही छोटी अपने कर की झोरी थी
जितनी ही ठहरे रहने की थी अभिलाषा
उतना ही रेले तेज़ ढकेले जाते थे
क्रय-विक्रय तो ठंडे दिल से हो सकता है
यह तो भागा-भागी की छीना-छोरी थी
अब मुझसे पूछा जाता है क्या बतलाऊं
क्या मान अकिंचन पथ पर बिखरता आया
वह कौन रतन अनमोल मिला मुझको
जिस पर अपना मन प्राण निछावर कर आया
यह थी तकदीरी बात, मुझे गुण-दोष ना दो
जिसको समझा था सोना, वह मिट्टी निकली
जिसको समझा था आंसू, वह मोती निकला
जीवन की आपाधापी में कब वक्त मिला
कुछ देर कहीं पर बैठ कभी यह सोच सकूं
जो किया, कहा, माना उसमें क्या बुरा भला
मैं कितना ही भूलू भटकू या भरमाऊ
है एक कहीं मज़िल जो मुझे बुलाती है
मैं कितना ही भूलू भटकू या भरमाऊ
है एक कहीं मज़िल जो मुझे बुलाती है
कितने ही मेरे पाँव पड़े ऊँचे निचे
प्रतिपल वह मेरे पास चली ही आती है
मुझ पर विधि का एहसान बहुत सी बातों का
पर मैं कृतज्ञ उसका इस पर सबसे ज्यादा
नभ ओले बरसाए धरती शोले'उगले
अनवरत समय की चक्की चलती जाती है
मैं जहाँ खड़ा था कल उस सथल पर आज नहीं
कल इसी जगह फिर पाना मुझको मुश्किल है
ले मापदंड जिसको परिवर्तित कर देती केवल छू कर ही
देशकाल की सीमाएं जग दे मुझ पर फैसला जैसा उसको भाए
लेकिन मैं तो बेरोक सफर में जीवन के इस एक और पहलू से होकर निकल चला
जीवन की आपाधापी में कब वक्त मिला
कुछ देर कहीं पर बैठ कभी यह सोच सकूं
जो किया, कहा, माना उसमें क्या बुरा भला

Trivia about the song Jeevan Ki Aapadhapi Mein Kab Waqt Mila by Amitabh Bachchan

When was the song “Jeevan Ki Aapadhapi Mein Kab Waqt Mila” released by Amitabh Bachchan?
The song Jeevan Ki Aapadhapi Mein Kab Waqt Mila was released in 1979, on the album “Bachchan Recites Bachchan”.
Who composed the song “Jeevan Ki Aapadhapi Mein Kab Waqt Mila” by Amitabh Bachchan?
The song “Jeevan Ki Aapadhapi Mein Kab Waqt Mila” by Amitabh Bachchan was composed by HARIVANSH RAI BACHCHAN, MURLI MAHOHAR SWARUP.

Most popular songs of Amitabh Bachchan

Other artists of Film score