Sapne Sajakar
Majrooh Sultanpuri
सपने सज़ा कर अपना बना कर
अपनो ने धोखा दिया
कैसे कहेंगे हुमको हमारे
सपनो ने धोखा दिया
सपने सज़ा कर
माँगी थी हुँने
चाहत की खुशिया
रुसवाई हुमको मिली
दिल को मिले घाम
आँखों को आँसू
तन्हाई हुमको मिली
उस बेवफा ने हुमको वफ़ा का
इनाम जैसा दिया
सपने सज़ा कर अपना बना कर
अपनो ने धोखा दिया
सपने सज़ा कर
सीकवा नही है कोई किसी से
कोई शिकायत नही
क्यू जी रहे है
जब कोई हुमको
जीने की चाहत नही
दिल बुझ गया है
तो क्यू जल रहा है
ये ज़िंदगी क्ला दिया
सपने सज़ा कर अपना बना कर
अपनो ने धोखा दिया
कैसे कहेंगे हुमको हमारे
सपनो ने धोखा दिया
सपने सज़ा कर.