Dekha Jidhar Udhar

Ghulam Ali

देखा इधर उधर तो ये ठोकर लगी मुझे
देखा इधर उधर तो ये ठोकर लगी मुझे
अपनी ही चाप राह का पत्थर लगी मुझे
देखा इधर उधर तो ये ठोकर लगी मुझे
देखा इधर उधर तो ये ठोकर लगी मुझे

भड़का हुवा था शोला-ए-एहसास इस कदर
भड़का हुवा था शोला-ए-एहसास इस कदर
सेहरा की धूप साए से बेहतर लगी मुझे
देखा इधर उधर तो ये ठोकर लगी मुझे
देखा इधर उधर तो ये ठोकर लगी मुझे

तकसिम हो गया हूँ मै खैरात की तरह
तकसिम हो गया हूँ मै खैरात की तरह
दुनिया किसी फकीर की चादर लगी मुझे
देखा इधर उधर तो ये ठोकर लगी मुझे
देखा इधर उधर तो ये ठोकर लगी मुझे

यूँ दिल बुझा के खून से उठने लगा धुवाँ
यूँ दिल बुझा के खून से उठने लगा धुवाँ
उठते धुवें की लौ तेरा पैकर लगी मुझे
देखा इधर उधर तो ये ठोकर लगी मुझे
देखा इधर उधर तो ये ठोकर लगी मुझे

पथरा चला है जिस्म भी आँखो के साथ साथ
पथरा चला है जिस्म भी आँखो के साथ साथ
वो जल्ब-ए-इंतज़ार मुज़फ़्फ़र लगी मुझे
देखा इधर उधर तो ये ठोकर लगी मुझे
अपनी ही चाप राह का पत्थर लगी मुझे
देखा इधर उधर तो ये ठोकर लगी मुझे
देखा इधर उधर तो ये ठोकर लगी मुझे

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