Kal Raat Bazm Mein Jo Mila

Ustad Ghulam Ali

कल रात बाज़म में जो
मिला घुलबदन सा था
कल रात बाज़म में जो
मिला घुलबदन सा था
खुसबू से उसके लफ्ज़ थे
चेहरा चमन सा था
कल रात बाज़म में जो
मिला घुलबदन सा था

देखा उससे तो बोल पड़े
उसके खबरो हाल
देखा उससे तो बोल पड़े
उसके खबरो हाल
पुच्छ उसको तो चुप सा रहा
कामसुखन सा था
कल रात बाज़म में जो
मिला घुलबदन सा था

तन्हाई ओ की रुत में भी
लगता था मुतमान
तन्हाई ओ की रुत में भी
लगता था मुतमान
वो सख्स अपनी जात में
इक अंजुमन सा था
कल रात बाज़म में जो
मिला घुलबदन सा था

वो सादगी पहेंके भी
दिल में उतार गया
वो सादगी पहेंके भी
दिल में उतार गया
उसकी हर इक अड्डा में
अज़ाब भोलपं सा था
कल रात बाज़म में जो
मिला घुलबदन सा था
कल रात बाज़म में जो
मिला घुलबदन सा था
खुसबू से उसके लफ्ज़ थे
चेहरा चमन सा था
कल रात बाज़म में जो
मिला घुलबदन सा था.

Trivia about the song Kal Raat Bazm Mein Jo Mila by Ghulam Ali

Who composed the song “Kal Raat Bazm Mein Jo Mila” by Ghulam Ali?
The song “Kal Raat Bazm Mein Jo Mila” by Ghulam Ali was composed by Ustad Ghulam Ali.

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