Laut Aao Na
आंगन मेरा गलिया ये मेरी
सोने लगे हर दिन दोपहरी
तारीखों में मैं रहू उलझी सी
सांसे रुकी यह हवा भी बरी
खाली सदा मन तेरे बिन पिया
भर दे ये आंगन लौट के ओ पिया
कहु मैं कहूं तुझे साजना के लौट आओ ना
ढूंढे है ढूंढे तुझे बावरा मन लौट आओ ना
लड़ी मन से पर गई हार में
दर्पण मोरा भी है प्यार में
सहज करो मोरी उलझने हा लौट आओ ना
सुबह के जैसी
साफ देखी थी
तेरे हाथों में मैंने जिंदगी
देखो रात ये
रात भर कहे
तेरी कहानी सुनती में रही
तुझे सभी मैं देखूं राहे
ये भी तो मुझ संग खोले बाहे
कैसे बताऊं सारी वो बाते
करी जो हमने जाग राते
सूखा है सावन तेरे बिन पिया
भीग ले ये आंगन बरस जाओ पिया
कहु मैं कहूं तुझे साजना के लौट आओ ना
ढूंढे है ढूंढे तुझे बावरा मन लौट आओ ना
लड़ी मन से पर गई हार में
दर्पण मोरा भी है प्यार में
सहज करो मोरी उलझने हा लौट आओ ना