Ab Aksar Chup Chup Se Rahe Hain

Firaq Gorakhpuri, Jagjit Singh

अब अक्सर चुप-चुप से रहे हैं यूँ ही कभू लब खोलें हैं
अब अक्सर चुप-चुप से रहे हैं यूँ ही कभू लब खोलें हैं
पहले 'फ़िराक़' को देखा होता अब तो बहुत कम बोलें हैं

दिन में हम को देखने वालों अपने अपने हैं औक़ात
दिन में हम को देखने वालों अपने अपने हैं औक़ात
जाओ न तुम इन ख़ुश्क आँखों पर हम रातों को रो लें हैं
पहले 'फ़िराक़' को देखा होता अब तो बहुत कम बोलें हैं

ग़म का फ़साना सुनने वालों आख़िर-ए-शब आराम करो
ग़म का फ़साना सुनने वालों आख़िर-ए-शब आराम करो
कल ये कहानी फिर छेड़ेंगे हम भी ज़रा अब सो लें हैं
पहले 'फ़िराक़' को देखा होता अब तो बहुत कम बोलें हैं

Trivia about the song Ab Aksar Chup Chup Se Rahe Hain by Jagjit Singh

When was the song “Ab Aksar Chup Chup Se Rahe Hain” released by Jagjit Singh?
The song Ab Aksar Chup Chup Se Rahe Hain was released in 2004, on the album “Ab Aksar Chup Chup Se”.
Who composed the song “Ab Aksar Chup Chup Se Rahe Hain” by Jagjit Singh?
The song “Ab Aksar Chup Chup Se Rahe Hain” by Jagjit Singh was composed by Firaq Gorakhpuri, Jagjit Singh.

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