Gehre Halke Halke Gehre

JAVED AKHTAR, R. D. BURMAN

गेहरे हलके हलके गेहरे छाये शाम के साये
धीरे धीरे हौले हौले दिल की धड़कन गाये
तुम हो मैं हूँ और तन्हाईया
तन में जागी है अंगड़ाईयाँ
गेहरे हलके हलके गेहरे छाये शाम के साये
धीरे धीरे हौले हौले दिल की धड़कन गाये
तुम हो मैं हूँ और तन्हाईया
तन में जागी है अंगड़ाईयाँ

मौसम यह क्या नयी रीत है
मौसम यह क्या नयी रीत है
ठंडी हवाओं में संगीत है

पुरवा सन सन गूँजे बन बन
कोयल शोर मचाये

तुम हो मैं हूँ और तनहाईयाँ
धीमी धीमी है शेहनाईया

पलको पे जैसे घटा छा गयी
पलको पे जैसे घटा छा गयी
बाहों के घेरे में मैं आ गयी

बरखा झर झर बरसे धर धर
मन में आग लगाए

तुम हो मैं हूँ और तनहाईयाँ
भीगी भीगी है परछाईया

रंगीन दिल के फ़साने हुए
रंगीन दिल के फ़साने हुए
हम तुम तोह जैसे दीवाने हुए

महकी महकी बहकी बहकी
रुत ने होश उड़ाए

तुम हो मैं हूँ और तनहाईयाँ
गुलशन गुलशन है रुसवाइयाँ
गेहरे हलके हलके गेहरे छाये शाम के साये
धीरे धीरे हौले हौले दिल की धड़कन गाये
तुम हो मैं हूँ और तन्हाईया
तन में जागी है अंगड़ाईयाँ

Trivia about the song Gehre Halke Halke Gehre by Kishore Kumar

Who composed the song “Gehre Halke Halke Gehre” by Kishore Kumar?
The song “Gehre Halke Halke Gehre” by Kishore Kumar was composed by JAVED AKHTAR, R. D. BURMAN.

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