Kamai To Bahut Phir Bhi

Kamal Joshi, Usha Khanna, Vitthalbhai Patel

कमाई कमाई कमाई तो बहुत फिर भी
कड़की हरदम रहती है
कमाई तो बहुत फिर भी
कड़की हरदम रहती है
कुछ मेहंगाई ले जाती
कुछ बीवी उड़ाती है
बीवी उड़ाती है

हो हो हो हो
हो बुजर्गो का ये कहना है
घर तो मर्द लुटते है
बुजर्गो का ये कहना है
घर तो मर्द लुटते है
हो लाख मुसीबत
हो औरत घर को बनाती है
औरत घर को बनाती है

कमाई तो बहुत फिर भी
कड़की हरदम रहती है

है उनकी साड़ियाँ दस बीस
हमारे कपडे ले दे चार है
हा हा है उनकी साड़ियाँ दस बीस
हमारे कपडे ले दे चार है
है उनकी रोज दीवाली
दिवाला निकला हमरा यार
सोने के हाथ में कंगन
हिरे की कान में बाली
छनके पैर में पायल
आहे रे पायल ओ पायल
आहे रे पायल
छनके पैर में पायल
पति का बटवा है खली
लगाकर शेंट
लगाकर शेंट मेहंगा ये
नखरे सो सो दिखती है
हो कुछ महंगाई ले जाती
कुछ बीवी उड़ाती है
कुछ बीवी उड़ाती है

बुजर्गो का ये कहना है
घर तो मर्द लुटते है

बसे चलती है लेकिन
वो टैक्सी में जाते है
बसे हाय हाय हाय
बसे चलती है लेकिन
वो टैक्सी में जाते है
चले जब काम बीडी से
सदा सिगरेट वो पीते है
लगाकर आंख पर चश्मा
सिनेमा खूब जाते है
घर का छोड़कर खाना
हाय खाना रे खाना
हाय रे खाना
घर का छोड़कर खाना
सदा होटल में ही खाते है
पिया रूठे मानते है
कभी घर को सजाते है
हो लाख मुसीबत हो औरत
घर को बनाती है
औरत घर को बनाती है

अब बस
कमाई तो बहुत फिर भी
कड़की हरदम रहती है

पहन कर रेश्मी जोड़ा
हमे जलवा दिखावट है
कभी जो देर से आओ सुभा
मनवा मिलावट है
नमक मिर्च वो डाले फूँक
जली रोटी खिलावट है
चले न जब चल कोई हा री
चले न जब चल कोई तो
वो बेलन दिखावट है

जेब होती है जब खली
याद बस बीवी आती है
बचत के पैसे से हरदम
उधारी वो चुकाती है
जवानी में सतावत है
भूडपे में निभाती है
पति की सेवा कर बीवी
सुखी जीवन बनती है

बुजर्गो का ये कहना है
घर तो मर्द लुटते है
हो लाख मुसीबत
हो औरत घर को बनाती है
औरत घर को बनाती है
ल ल ल ला ला ला ला ला ल

Trivia about the song Kamai To Bahut Phir Bhi by Kishore Kumar

Who composed the song “Kamai To Bahut Phir Bhi” by Kishore Kumar?
The song “Kamai To Bahut Phir Bhi” by Kishore Kumar was composed by Kamal Joshi, Usha Khanna, Vitthalbhai Patel.

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