Raat Kali Ek Khwab Men Aai

Majrooh Sultanpuri, R D Burman

हम्म हम्म हम्म
रात कली एक ख़ाब में आई
और गले का हार हुई
रात कली एक ख़ाब में आई
और गले का हार हुई
सुबह को जब हम नींद से जागे
आँख उन्हीं से चार हुई
रात कली एक ख़ाब में आई
और गले का हार हुई

चाहे कहो इसे मेरी मोहब्बत
चाहे हँसी में उड़ा दो
ये क्या हुआ मुझे मुझ को ख़बर नहीं
हो सके तुम्हीं बता दो
चाहे कहो इसे मेरी मोहब्बत
चाहे हँसी में उड़ा दो
ये क्या हुआ मुझे मुझ को ख़बर नहीं
हो सके तुम्हीं बता दो
तुम ने क़दम तो रखा ज़मीं पर
सीने में क्यूँ झनकार हुई
रात कली एक ख़ाब में आई
और गले का हार हुई

आँखों में काजल और लटों में
काली घटा का बसेरा
साँवली सूरत मोहनी मूरत
सावन रुत का सवेरा
आँखों में काजल और लटों में
काली घटा का बसेरा
साँवली सूरत मोहनी मूरत
सावन रुत का सवेरा
जब से ये मुखड़ा दिल में खिला है
दुनिया मेरी गुलज़ार हुई
रात कली एक ख़ाब में आई
और गले का हार हुई

यूँ तो हसीनों के माहजबीनों के
होते हैं रोज़ नज़ारे
पर उन्हें देख के
देखा है जब तुम्हें
तुम लगे और भी प्यारे
यूँ तो हसीनों के माहजबीनों के
होते हैं रोज़ नज़ारे
पर उन्हें देख के
देखा है जब तुम्हें
तुम लगे और भी प्यारे
बाँहों में ले लूँ ऐसी तमन्ना
एक नहीं कई बार हुई
रात कली एक ख़ाब में आई
और गले का हार हुई
सुबह को जब हम नींद से जागे
आँख उन्हीं से चार हुई
रात कली एक ख़ाब में आई
और गले का हार हुई

Trivia about the song Raat Kali Ek Khwab Men Aai by Kishore Kumar

Who composed the song “Raat Kali Ek Khwab Men Aai” by Kishore Kumar?
The song “Raat Kali Ek Khwab Men Aai” by Kishore Kumar was composed by Majrooh Sultanpuri, R D Burman.

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