Ruk Jana Nahin [2]

LAXMIKANT PYARELAL, MAJROOH SULTANPURI

आ आ आ आ आ आ आ

रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चलके मिलेंगे साये बहार के
रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चलके मिलेंगे साये बहार के
ओ राही ओ राही
ओ राही ओ राही
ओ राही ओ राही
ओ राही ओ राही

आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ आ

सूरज देख रुक गया है
तेरे आगे झुक गया है
सूरज देख रुक गया है
तेरे आगे झुक गया है
जब कभी ऐसे कोई मस्ताना
निकले है अपनी धुन में दीवाना
शाम सुहानी बन जाते हैं
दिन इंतज़ार के
ओ राही ओ राही
ओ राही ओ राही
रुक जाना नहीं तू कहीं हार के
काँटों पे चलके मिलेंगे साये बहार के
ओ राही ओ राही
ओ राही ओ राही

Trivia about the song Ruk Jana Nahin [2] by Kishore Kumar

Who composed the song “Ruk Jana Nahin [2]” by Kishore Kumar?
The song “Ruk Jana Nahin [2]” by Kishore Kumar was composed by LAXMIKANT PYARELAL, MAJROOH SULTANPURI.

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