Ulfut Mein Zamane Ki [Revival]

Naqsh Lyallpuri, Sapan Jagmohan

उल्फ़त में ज़माने की
हर रस्म को ठुकराओ
उल्फ़त में ज़माने की
हर रस्म को ठुकराओ
फिर साथ मेरे आओ
उल्फ़त में ज़माने की
हर रस्म को ठुकराओ

कदमों को ना रोकेगी, ज़ंजीर रिवाजों की
हम तोड़ के निकलेंगे, दीवार समाजों की
दूरी पे सही मंज़िल, दूरी से न घबराओ
उल्फ़त में ज़माने की
हर रस्म को ठुकराओ

मैं अपनी बहारों को, रंगीन बना लूँगा
सौ बार तुम्हें अपनी, पलकों पे उठा लूँगा
शबनम की तरह मेरे, गुलशन पे बिखर जाओ
उल्फ़त में ज़माने की
हर रस्म को ठुकराओ

आ जाओ के जीने के, हालात बदल डालें
हम मिल के ज़माने के, दिन-रात बदल डालें
तुम मेरी वफ़ाओं की, एक बार क़सम खाओ
उल्फ़त में ज़माने की
हर रस्म को ठुकराओ
फिर साथ मेरे आओ
उल्फ़त में ज़माने की
हर रस्म को ठुकराओ

Trivia about the song Ulfut Mein Zamane Ki [Revival] by Kishore Kumar

Who composed the song “Ulfut Mein Zamane Ki [Revival]” by Kishore Kumar?
The song “Ulfut Mein Zamane Ki [Revival]” by Kishore Kumar was composed by Naqsh Lyallpuri, Sapan Jagmohan.

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