Abke Na Sawan Barse

Gulzar, R D Burman

हो अबके ना सावन बरसे
अबके ना सावन बरसे
हो अबके बरस तो बरसेंगी अँखियाँ
अबके ना सावन बरसे
हो अबके बरस तो बरसेंगी अँखियाँ
अबके ना सावन बरसे

जाने कैसे अबके ये मौसम बीते
आ आ आ आ
जाने कैसे अबके ये मौसम बीते
बेतेगी जो तेरे बिन वो कम बीते
तेरे बिना सावन सूने
तेरे बिना अब तो ये मन तरसे
अबके ना सावन बरसे
हो अबके बरस तो बरसेंगी अँखियाँ
अबके ना सावन बरसे

जाने कब आये दिन दिन ढल जाये
दिन ढल जाये
जाने कब आये दिन दिन ढल जाये
तेरे बिन अँखियों से रात ना जाये
तेरे बिना रात ना जाये
तेरे बिना अब तो ये दिन तरसे
अबके ना सावन बरसे
हो अबके बरस तो बरसेंगी अँखियाँ
अबके ना सावन बरसे

बंध शीशे है दरिशो में खुले मंजर हे
सब्ज पेड़ो पे खानी शहखो के फूलो पर
कैसे चुपचाप बरसता हे मुसलसल पानी
कितनी मखलूक हे
हंगामे हे आवाज़े है
फिर भी अहसास के
सतह पे होले होले
जैसे चुप चाप बरसता है तसव्वुर तेरा

Trivia about the song Abke Na Sawan Barse by Lata Mangeshkar

Who composed the song “Abke Na Sawan Barse” by Lata Mangeshkar?
The song “Abke Na Sawan Barse” by Lata Mangeshkar was composed by Gulzar, R D Burman.

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