Ae Mere Malik Mere Parwardigar
आइ मेरे मलिक मेरे परवर्दीगर
सुन मेरे टूटे हुए दिल की पुकार
आज मई लचर हू मजबूर हू
जिंदा रह कर ज़िंदगी से दूर हू
आ गयी कश्ती मेरी मझदार मे
सर झुकती हू तेरे दरबार मे
हाथ उठाकर मांगती हू मई दुआ
देखिए खुदा है अब अंज़ाम क्या
कों सुनता है मेरी फरियाद को
कों आता है मेरी इमदाद को
कों आता है मेरी इमदाद को.