Apne Aap Raaton Mein
अपने आप रातों में
छिलमनें सरकती हैं
चौंकाते हैं दरवाजे
सीढियाँ धड़कती हैं
अपने आप अपने आप
एक अजनबी आहट आ रही है
कम कम सी
जैसे दिल के परदों पर गिर रही हो
शबनम सी बिन किसी की याद आए
दिल के तार हिलते हैं
बिन किसी के खनकाए चूड़ियां
खनकती हे
अपने आप अपने आप
कोइ पहले दिन जैसे
घर किसी के जाता हो
जैसे खुद मुसाफिर को रस्ता
बुलाता हो पावं जाने किस जानिब
बे उठाये उठाते हैं
और छम्म छम्मा छम्म छम्म
पायलें झनकती हैं अपने आप
अपने आप रातों में
जाने कौन बालो में
उँगलियाँ पिरोता हे
खेलता हे पानी से
तन बदन भी बोता हे
जाने किसके हाथो से
गागरे छलकती हे
जाने किसके बातों से
बिजलियाँ लपकती हे
अपने आप
अपने आप रातों में
छिलमनें सरकती हैं
चौंकाते हैं दरवाज़े
सीढियाँ धड़कती हैं
अपने आप अपने आप