Chal Kahin Door Nikal Jayen [LP Classics]

Majrooh Sultanpuri, Roshan Rajesh

क्या मौसम है, आए दीवाने दिल
अरे चल कहीं दूर निकल जाएँ
चल कहीं डोर निकल जायें
कोई हुंदम है, चाहत के काबिल
तो किस लिए हम संभल जाएँ
चल कहीं डोर निकल जायें

झूम के जब जब कभी दो दिल गाते हैं
चार कदम चलते हैं फिर खो जाते हैं

ऐसा है तो खो जाने दो मुझको भी आज
यह क्या कम है दो पल को राही
अर्रे मिल जायें बहाल जायें
चल कहीं डोर निकल जायें

यह मस्तियाँ, यह बहार
दिल हो चला बेकरार
मैं गिरता हूँ मुझे थाम लो
भीगे लबों से मेरा नाम लो

दुनिया को अब दो नज़र क्यों आयें हम
इतने करीब आओ के एक हो जायें हम
के एक हो जायें हम
के एक हो जायें हम
के एक हो जायें

खोए से हम, खोई सी मंज़िल
अच्च्छा है संभाल जायें

चल कहीं दूर निकल जाएँ
अच्च्छा है संभल जायें
चल कहीं दूर निकल जाएँ अच्च्छा है संभल जायें

Trivia about the song Chal Kahin Door Nikal Jayen [LP Classics] by Lata Mangeshkar

Who composed the song “Chal Kahin Door Nikal Jayen [LP Classics]” by Lata Mangeshkar?
The song “Chal Kahin Door Nikal Jayen [LP Classics]” by Lata Mangeshkar was composed by Majrooh Sultanpuri, Roshan Rajesh.

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