Dhire Dhire Machal
धीरे धीरे मचल
ए दिल-ए-बेकरार
धीरे धीरे मचल ए दिल-ए-बेकरार कोइ आता हैं
यूं तड़प के ना तड़पा मुझे बार बार कोइ आता हैं
धीरे धीरे मचल ए दिल-ए-बेकरार
उसके दामन की खुशबू हवाओं में हैं
उसके कदमों की आहट पनाहों में हैं
उसके दामन की खुशबू हवाओं में हैं
उसके कदमों की आहट पनाहों में हैं
मुझको करने दे करने दे सोलह सिंगार, कोइ आता हैं
धीरे धीरे मचल ए दिल-ए-बेकरार कोइ आता हैं
धीरे धीरे मचल ए दिल-ए-बेकरार
मुझको छूने लगी उसकी परछईयाँ
दिल के नज़दीक बजती हैं शहनाईयां
मुझको छूने लगी उसकी परछईयाँ
दिल के नज़दीक बजती हैं शहनाईयां
मेरे सपनों के आँगन में गाता हैं प्यार, कोइ आता हैं
धीरे धीरे मचल ए दिल-ए-बेकरार कोइ आता हैं
धीरे धीरे मचल ए दिल-ए-बेकरार
रूठ के पहेले जी भर सताऊंगी मैं
जब मनाएंगे वो मान जाऊंगी मैं
रूठ के पहेले जी भर सताऊंगी मैं
जब मनाएंगे वो मान जाऊंगी मैं
दिल पे रेहेता हैं एसे में कब इख्तियार, कोइ आता हैं
धीरे धीरे मचल ए दिल-ए-बेकरार कोइ आता हैं
यूं तड़प के ना तड़पा मुझे बार बार कोइ आता हैं
धीरे धीरे मचल ए दिल-ए-बेकरार