Dua Kar Gham-E-Dil

SHAILENDRA, CHITALKAR RAMCHANDRA

दुआ कर ग़म-ए-दिल, खुदा से दुआ क र र र र
वफ़ाओं का मजबूर दामन बिछा कर
दुआ कर ग़म-ए-दिल, खुदा से दुआ कर
जो बिजली चमकती है उनके महल पर
वो कर ले तसल्ली, मेरा घर जला कर
दुआ कर ग़म-ए-दिल खुदा से दुआ कर

सलामत रहे तू, मेरी जान जाए
सलामत रहे तू, मेरी जान जाए
मुझे इस बहाने से ही मौत आए
करूँगी मैं क्या चंद साँसें बचा कर
दुआ कर ग़म-ए-दिल खुदा से दुआ कर
दुआ कर ग़म-ए-दिल खुदा से दुआ कर

मैं क्या दूँ तुझे मेरा सब लुट चुका है
दुआ के सिवा मेरे पास और क्या है
मैं क्या दूँ तुझे मेरा सब लुट चुका है
दुआ के सिवा मेरे पास और क्या है
गरीबों का एक आसरा-ए-खुदा है
गरीबों का एक आसरा-ए-खुदा है
मगर मेरी तुझसे यही इल्तजा है
न दिल तोड़ना दिल की दुनिया बसा कर
दुआ कर ग़म-ए-दिल खुदा से दुआ कर
दुआ कर ग़म-ए-दिल खुदा से दुआ कर
वफ़ाओं का मजबूर दामन बिछा कर
दुआ कर ग़म-ए-दिल खुदा से दुआ कर
दुआ कर ग़म-ए-दिल खुदा से दुआ कर

Trivia about the song Dua Kar Gham-E-Dil by Lata Mangeshkar

Who composed the song “Dua Kar Gham-E-Dil” by Lata Mangeshkar?
The song “Dua Kar Gham-E-Dil” by Lata Mangeshkar was composed by SHAILENDRA, CHITALKAR RAMCHANDRA.

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