Ek Baat Kahoon Gar Mano Tum

Gulzar, R D Burman

एक बात कहूँ गर मानो तुम
सपनों में न आना जानो तुम
मैं नींद में उठकर चलती हूँ
जब देखती हूँ सच मानो तुम
एक बात कहूँ गर मानो तुम
सपनों में न आना जानो तुम
मैं नींद में उठकर चलती हूँ
जब देखती हूँ सच मानो तुम

कल भी हुआ के तुम, गुज़रे थे पास से
थोड़े से अनमने, थोड़े उदास थे
भागी थी मनाने नींद में लेकिन
सोफे से गिर पड़ी हा हा हा
एक बात कहूँ गर मानो तुम
सपनों में न आना जानो तुम
मैं नींद में उठकर चलती हूँ
जब देखती हूँ सच मानो तुम

परसों की बात है, तुमने बुलाया था
तुम्हारे हाथ में चेहरा छुपाया था
चूमा था हाथ को नींद में लेकिन
पाया पलंग का था हा हा हा
एक बात कहूँ गर मानो तुम
सपनों में न आना जानो तुम

उस दिन भी रात को, तुम ख्वाब में मिले
और खामखां के बस करते रहे गिले
काश ये नींद और ख्वाब के यूँ ही
चलते रहे सिलसिले
एक बात कहूँ गर मानो तुम
सपनों में न आना जानो तुम
मैं नींद में उठकर चलती हूँ
जब देखती हूँ सच मानो तुम ला ला ला ला

Trivia about the song Ek Baat Kahoon Gar Mano Tum by Lata Mangeshkar

Who composed the song “Ek Baat Kahoon Gar Mano Tum” by Lata Mangeshkar?
The song “Ek Baat Kahoon Gar Mano Tum” by Lata Mangeshkar was composed by Gulzar, R D Burman.

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