Hazaron Khwahishen Aise

HRIDAYNATH MANGESHKAR, MIRZA GHALIB

हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
बहुत निकले मेरे अरमान लेकिन फिर भी कम निकले
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी

निकलना खुदसे आदाम का सुनते आये थे लेकिन
निकलना खुदसे आदाम का सुनते आये थे लेकिन
बहुत बेआबरू होकर तेरे कूचे से हम निकले
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी

मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
मोहब्बत में नहीं है फ़र्क़ जीने और मरने का
उसी को देख कर जीते हैं जिस काफ़िर पे दम निकले
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी

कहाँ मैखाने का दरवाज़ा ग़ालिब और कहाँ वहीज
कहाँ मैखाने का दरवाज़ा ग़ालिब और कहाँ वहीज
पर इतना जानते हैं की कल वो चाहता था की हम निकले
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी के हर ख्वाहिश पे दम निकले
हज़ारों ख्वाहिशें ऐसी

Trivia about the song Hazaron Khwahishen Aise by Lata Mangeshkar

Who composed the song “Hazaron Khwahishen Aise” by Lata Mangeshkar?
The song “Hazaron Khwahishen Aise” by Lata Mangeshkar was composed by HRIDAYNATH MANGESHKAR, MIRZA GHALIB.

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