Lakhon Tare Aasman Per [Revival]

SHAILENDRA, Shankar-Jaikishan

लाखों तारे, आसमान में
एक मगर ढूंढे ना मिला
देख के दुनिया की दिवाली
दिल मेरा चुपचाप जला
दिल मेरा चुपचाप जला

लाखों तारे, आसमान में
एक मगर ढूंढे ना मिला
एक मगर ढूंढे ना मिला

क़िस्मत का है, नाम मगर है, काम है ये दुनिया वालों का
फूंक दिया है चमन हमारे ख्वाबों और खयालों का
जी करता है खुद ही घोंट दे, अपने अरमानों का गला
देख के दुनिया की दिवाली
दिल मेरा चुपचाप जला
दिल मेरा चुपचाप जला

सौ-सौ सदियों से लम्बी ये, ग़म की रात नहीं ढलती
इस अंधियारे के आगे अब, ऐ दिल एक नहीं चलती
हँसते ही लूट गयी चांदनी, और उठते ही चाँद ढला
देख के दुनिया की दिवाली
दिल मेरा चुपचाप जला
दिल मेरा चुपचाप जला

मौत है बेहतर इस हालत से, नाम है जिसका मजबूरी
कौन मुसाफिर तय कर पाया, दिल से दिल की ये दूरी

काँटों ही काँटों से गुज़रा, जो राही इस राह चला
देख के दुनिया की दिवाली
दिल मेरा चुपचाप जला
दिल मेरा चुपचाप जला

लाखों तारे, आसमान में
एक मगर ढूंढे ना मिला
देख के दुनिया की दिवाली
दिल मेरा चुपचाप जला
दिल मेरा चुपचाप जला

Trivia about the song Lakhon Tare Aasman Per [Revival] by Lata Mangeshkar

Who composed the song “Lakhon Tare Aasman Per [Revival]” by Lata Mangeshkar?
The song “Lakhon Tare Aasman Per [Revival]” by Lata Mangeshkar was composed by SHAILENDRA, Shankar-Jaikishan.

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