Pardesi Ne Lat Uljhai Re

Majrooh Sultanpuri

परदेशी ने लत उलझाई रे
परदेशी ने लत उलझाई रे
कहा जाके नज़र टकराई रे
परदेशी ने लत उलझाई रे
कहा जाके नज़र टकराई रे
हो कहा जाके नज़र टकराई रे

दोनो हाथो मे दर्पण थाम के
दोनो हाथो मे दर्पण थाम के
मुझको थामो गयी रे मैं तो काम से
गयी रे मैं तो काम से
काली काली सी गोरी गोरी सी
बदली आँखो मे छाई रे
कहा जाके नज़र टकराई रे
परदेशी ने लत उलझाई रे
कहा जाके नज़र टकराई रे

चुपके चुपके पुकारे जिया आओ रे
चुपके चुपके पुकारे जिया आओ रे
फिर सजन की गली को चल बावरी
गली को चल बावरी
बोले रुक रुक के डोलू झुक झुक के
मोरे राम ढुहाई रे
कहा जाके नज़र टकराई रे
परदेशी ने लत उलझाई रे
कहा जाके नज़र टकराई रे

दर यही है कही ना कोई जान ले
दर यही है कही ना कोई जान ले
खोई खोई नज़र पहचान ले
नज़र पहचान ले
मुखड़ा मैला है कजरा फैला है
जब से आँख लगाई रे
कहा जाके नज़र टकराई रे
परदेशी ने लत उलझाई रे
कहा जाके नज़र टकराई रे
हो कहा जाके नज़र टकराई रे

Trivia about the song Pardesi Ne Lat Uljhai Re by Lata Mangeshkar

Who composed the song “Pardesi Ne Lat Uljhai Re” by Lata Mangeshkar?
The song “Pardesi Ne Lat Uljhai Re” by Lata Mangeshkar was composed by Majrooh Sultanpuri.

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