Pighla Hai Sona Door Gagan Par

S D Burman, Sahir Ludhianvi

सोना पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे है शाम के साये हंहंहं
पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे है शाम के साये हंहंहं
भगवान तेरे सुन्दर
तेरी महिमा के गुण गाता हर नर नारी है
हंहंहं हंहंहं हंहंहं
खामोशी कुछ बोल रही है भेद
अनोखे खोल रही है
पंख पखेरू सोच में गुम हे पेड़ खड़े
है सर झुकाए पिघला है सोना
पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे है शाम के साये
हंहंहं
भगवान तेरे सुन्दर रचना कितनी प्यारी है
तेरी महिमा के गुण जाता हर नर नारी है
भगवान तेरे सुन्दर रचना कितनी प्यारी है
तेरी महिमा के गुण गाता हर नर नारी है
हंहंहंहंहंहं
धुंदले धुंदले मस्त नज़ारे उड़ते बादल मुडते धारे
छुप के नज़र से जाने ये किस ने
रंग रंगीले खेल रचाये पिघला है सोना
पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे है शाम के साये हंहंहं
भगवन तेरे सुन्दर रचना कितनी प्यारी है
तेरी महिमा के गुण गाता हर नर नारी है
भगवन तेरे सुन्दर रचना कितनी प्यारी है
तेरी महिमा के गुण गाता हर नर नारी है
हंहंहंहंहंहंहं हंहं
कोई भी उठता राज़ न जाने
एक हक़ीक़त लाख फ़साने
एक ही जलवा शाम सवेरे
भेस बदल कर सामने आए पिघला है सोना
पिघला है सोना दूर गगन पर
फ़ैल रहे है शाम के साये हंहंहं
पिघला है सोना पिघला है सोना

Trivia about the song Pighla Hai Sona Door Gagan Par by Lata Mangeshkar

Who composed the song “Pighla Hai Sona Door Gagan Par” by Lata Mangeshkar?
The song “Pighla Hai Sona Door Gagan Par” by Lata Mangeshkar was composed by S D Burman, Sahir Ludhianvi.

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