Prem Hai Prem Hai

YOGESH, NAGRATH RAJESH ROSHAN

प्रेम है प्रेम है
प्रेम है प्रेम है
पिया मान की मधुर इक भावना
पिया मान की मधुर इक भावना
अंबूझी प्यास मे
अंबूझी प्यास मे एक
दुबई हुई सी कामना
एक दुबई हुई सी कामना
प्रेम है

आओ आज लिखे अधरो से
अधरो पर हम ऐसी कविता
बेसूध अपनी इन सांसो मे
घुल जाए जिसकी मादकता
सागर की बहो मे
जैसे बाँधती है सरिता
हर घड़ी ऐसे ही हर घड़ी ऐसे ही
अपनी बहो मे मुझको बंधना
पिया मान की मधुर इक भावना

आज प्रण की इस बेला मे
मेरा हर अधिकार मुझे दो
मई ना भूलु तुम ना भूलो
ऐसा कुच्छ उफार मुझे दो

तुम ये अंघूति मेरी सजनी
लो स्वीकार करो

कम कभी हो नही
कम कभी हो नही
प्रीत की अपनी आराधना

पिया मान की मधुर इक भावना
प्रेम है प्रेम है
प्रेम है प्रेम है
पिया मान की मधुर इक भावना
पिया मान की मधुर इक भावना
अंबूझी प्यास मे
अंबूझी प्यास मे एक
दुबई हुई सी कामना
दुबई हुई सी कामना
प्रेम है.

आओ आज लिखे आधेयों से
अधरों पर ऐसी कविता
बेसुध अपनी इन साँसों में
खुल जाए जिस यमदत का
सागर की बहो मे
जैसे बाँधती है सरिता
हर घड़ी ऐसे ही हर घड़ी ऐसे ही
अपनी बहो मे मुझको बंधना
पिया मान की मधुर इक भावना
अंबूझी प्यास मे
अंबूझी प्यास मे एक
दुबई हुई सी कामना
प्रेम है

Trivia about the song Prem Hai Prem Hai by Lata Mangeshkar

Who composed the song “Prem Hai Prem Hai” by Lata Mangeshkar?
The song “Prem Hai Prem Hai” by Lata Mangeshkar was composed by YOGESH, NAGRATH RAJESH ROSHAN.

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