Raat Aur Din Diya Jale

Hasrat Jaipuri, Shankar-Jaikishan

रात और दिन दिया जले, मेरे मन में फिर भी अंधियारा है
रात और दिन दिया जले, मेरे मन में फिर भी अंधियारा है
जाने कहाँ है, ओ साथी, तू जो मिले जीवन उजियारा है
रात और दिन

पग पग मन मेरा ठोकर खाए, चाँद सूरज भी राह ना दिखाए
पग पग मन मेरा ठोकर खाए, चाँद सूरज भी राह ना दिखाए
ऐसा उजाला कोइ मन में समाये, जिस से पीया का दर्शन मिल जाए
रात और दिन दिया जले, मेरे मन में फिर भी अंधियारा है
जाने कहाँ है, ओ साथी, तू जो मिले जीवन उजियारा है
रात और दिन

गहरा ये भेद कोइ मुझको बताये, किसने किया हैं मुझ पर अन्याय
गहरा ये भेद कोइ मुझको बताये, किसने किया हैं मुझ पर अन्याय
जिस का हो दीप वो सुख नहीं पाए, ज्योत दिए की दूजे घर को सजाये
रात और दिन दिया जले, मेरे मन में फिर भी अंधियारा है
जाने कहाँ है, ओ साथी, तू जो मिले जीवन उजियारा है
रात और दिन

खुद नहीं जानू ढूंढें किसको नज़र, कौन दिशा हैं मेरे मन की डगर
खुद नहीं जानू ढूंढें किसको नज़र, कौन दिशा हैं मेरे मन की डगर
कितना अजब ये दिल का सफ़र, नदियाँ में आये जाए जैसे लेहेर
रात और दिन दिया जले, मेरे मन में फिर भी अंधियारा है
जाने कहाँ है, ओ साथी, तू जो मिले जीवन उजियारा है
रात और दिन

Trivia about the song Raat Aur Din Diya Jale by Lata Mangeshkar

Who composed the song “Raat Aur Din Diya Jale” by Lata Mangeshkar?
The song “Raat Aur Din Diya Jale” by Lata Mangeshkar was composed by Hasrat Jaipuri, Shankar-Jaikishan.

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