Subah Hoti Hai Sham Hoti Hai

Chitragupta, Prem Dhawan

सुबह होती है शाम होती है
ज़िंदगी यूही तमाम होती है
सुबह होती है शाम होती है
ज़िंदगी यूही तमाम होती है

हाए वो बचपन की रंगी यादगार
याद आते है वो दीं भी बार बार
खेलना फूलो में तितली की तरह
दौड़ना बरखा में बिजली की तरह
रोज़ वो गुडियो की शादी धूम से
नाचना गाना गलियो में झूम के
संग सखियो के वो झूले प्रीत के
ताल देना मिलके दिल के गीत पे
बस यही थी छोटी सी दुनिया मेरी
जानती थी इसको ही मैं ज़िंदगी
सुबह होती है शाम होती है
ज़िंदगी यूही कहा होती है

एक दिन उठा ऐसा तूफँसा
दिल में जगा अंजना अरमान सा
छोड़ के मुझको मेरा बचपन गया
खेलती थी जिसमे वो आँगन गया
दिल में कोई अपना बनके आ गया
एक नशा सा ज़िंदगी पे छा गया
चाँद तारो से बाते होने लगी
दूर ख्वाबो में नज़ारे खोने लगी
प्यार में यू मेरा दिल मदहोश था
होश था मुझको तो इतना होश था
सुबह होती है शाम होती है
ज़िंदगी यूही कहा होती है

Trivia about the song Subah Hoti Hai Sham Hoti Hai by Lata Mangeshkar

Who composed the song “Subah Hoti Hai Sham Hoti Hai” by Lata Mangeshkar?
The song “Subah Hoti Hai Sham Hoti Hai” by Lata Mangeshkar was composed by Chitragupta, Prem Dhawan.

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