Tu Aaj Apne Haath Se
तू आज अपने हाथ से
कुछ बिगड़ी संवार दे
ए खुदा मेरे जिस्म से
मेरा साया उतार दे
कुछ बिगड़ी संवार दे
ए खुदा मेरे जिस्म से
मेरा साया उतार दे
तू धूप का है टुकड़ा
मैं दाग दाग साया
तू रौशनी का सपना
मेरी कोख मे क्यू आया
ए खुदा मेरे जिस्म से
मेरा साया उतार दे
आ आ आ आ आ
आ आ आ आ आ
मैं बेदरार दीवार हू
तुम्हे कहा छिपाऊँ
और तू जहा पे खेले
वो घर कहा से लाऊँ
ए खुदा मेरे जिस्म से
मेरा साया उतार दे
तू इश्क़ की हैं रहमत
तू जिस्म की इबादत
कर मे सुलगता दामन
और मैं सुलगती किस्मत
ए खुदा मेरे जिस्म से
मेरा साया उतार दे
कुछ बिगड़ी संवार दे
ए खुदा मेरे जिस्म से
मेरा साया उतार दे