APNE HAATHON KI LAKIRON MEIN

ARJAN DASWANI, QATEEL SHIFAI

अपने हाथों की लकीरों में सज़ा ले मुझको

अपने हाथों की लकीरों में सज़ा ले मुझको
अपने हाथों की लकीरों में सज़ा ले मुझको
मैं हूँ तेरा तू नसीब अपना बना ले मुझको
अपने हाथों की लकीरों में सज़ा ले मुझको
अपने हाथों की

मैं जो काँटा
मैं जो काँटा हूँ तो चल मुझसे बचाकर दामन
मैं जो काँटा
मैं जो काँटा हूँ तो चल मुझसे बचाकर दामन
मैं हूँ गर फूल जुड़े में सज़ा ले मुझको
मैं हूँ गर फूल जुड़े में सज़ा ले मुझको
अपने हाथों की

मैं खुले दर के किसी घर का हूँ समान प्यारे
मैं खुले दर के किसी घर का हूँ समान प्यारे
टूटा बेफां कभी आके चुरा ले मुझको
अपने हाथों की

कल की बतौर हे
कल की बतौर हे में अब सह रहु न रहूं
कल की बतौर हे में अब सह रहु न रहूं
कल की बतौर हे में अब सह रहु न रहूं
जितना जी चाहे तेरा आज उतना सत्ता ले मुझको
जितना जी चाहे तेरा आज उतना सत्ता ले मुझको
अपने हाथों की लकीरों में सज़ा ले मुझको
अपने हाथों की

Trivia about the song APNE HAATHON KI LAKIRON MEIN by Manhar Udhas

When was the song “APNE HAATHON KI LAKIRON MEIN” released by Manhar Udhas?
The song APNE HAATHON KI LAKIRON MEIN was released in 2008, on the album “Manhar Live”.
Who composed the song “APNE HAATHON KI LAKIRON MEIN” by Manhar Udhas?
The song “APNE HAATHON KI LAKIRON MEIN” by Manhar Udhas was composed by ARJAN DASWANI, QATEEL SHIFAI.

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