4 Din
हराणे के छोटे से गाम का ज़िकार
घर खारक आर खेत में लिया रास्ता गुजर
कुछ हैं यार कड़ी करा ना जात का फिकर
घर बार में नही कमी थी राम का शूकर
कला की बात के कला के हैं ना बेरा था
कंचा गोली गिल्ली डंडा शाम कद सवेरा था
बापू की मार अर्र मा ने करा लाद
4 डिना में ते 1 गुज़रा कोई ना बखेड़ा था
फिर पहुँचा ह्र-51 देखा एक था विगयपन
सपने बुनता गिनता मॅन छ्होरा तकता सिंघासन खैर
यहाँ से बदला सब बोल-चल रहें-सहें
दोस्त यार बदले-बदले गेहन-वहाँ
ये दूसरा दिन भी चल रहा था शांति में
ममता के पल्लू से निकला लाने को क्रांति वह
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Relativity Special Bana MC Square
की और भी कह डू तुमसे
जाना है हमेशा आयेज खुद से
डोर बड़ी डोर बड़ी डोर
की और भी कह डू तुमसे
जाना है हमेशा आयेज खुद से
डोर बड़ी डोर बड़ी डोर
ज़िंदगी ये 4 दिन की दूरी तक ही है बसी
रोना आया एक में तो दूजे में च्चिपी हँसी
ज़िंदगी ये 4 दिन की दूरी तक ही है बसी
चलते जाना चलते जाना चलने से ही ले बनी
लिखावट की आहत में च्चिपा हुआ रहने लगा
पन्नो पे भरके कुछ भी घिसा पिता कहने लगा
बॅटल्स में चोक हुआ जोक बना वो
दिल्ली बने लंग्ज़ रोज़ धुआ बोझ बना वो
और रत्ती भर भी कला पे ना दुनिया गौर करे
वाक़िफ़ कला से जो नही दुनिया भर का शोर करे
तीसरा दिन डूबा लेके सब आसार
शोर में चीख दबी मारा कलाकार
पर अभी खुद के लिए लिख रहा था वो
खुद को ढूँढने चला
पर सबको दिख रहा था वो
9 से 5 वाली गाड़ी लेके 4 गाली आती थी
बेज़ार सस्ता और बिक रहा था वो
ना जाने किस घड़ी का इंतेज़ार था
चेहरे आस पास कई थे पर एक यार था
शुकरान मंच का जहाँ खड़ा हैं वो
शुरू हो चुका हैं सफ़र दिन यह चार का
की और भी कह डू तुमसे
जाना है हमेशा आयेज खुद से
डोर बड़ी डोर बड़ी डोर
की और भी कह डू तुमसे
जाना है हमेशा आयेज खुद से
डोर बड़ी डोर बड़ी डोर
ज़िंदगी ये 4 दिन की दूरी तक ही है बसी
रोना आया एक में तो दूजे में च्चिपी हँसी
ज़िंदगी ये 4 दिन की दूरी तक ही है बसी
चल रहा है चल रहा है चलने से ही ले बनी
ज़िंदगी ये 4 दिन की दूरी तक ही है बसी
रोना आया एक में तो दूजे में च्चिपी हँसी
ज़िंदगी ये 4 दिन की दूरी तक ही है बसी
चल रहा है चल रहा है चलने से ही ले बनी
चल रहा है चल रहा है चलने से ही ले बनी
चल रहा है चल रहा है चलने से ही ले बनी